परिवर्तन समाचार पत्र के द्वारा चार सवाल सीरिज में शहर के तमाम नामचीन और प्रसिद्ध लोगों से बातचीत का सिलसिला चलेगा और देश की मौजूदा हालात पर चर्चा की जाएगी। आज के अंक में कर्नाटक प्रदेश के मशहूर हीरा व्यापारी रतनचन्द श्रीश्रीमाल से चार सवाल करते परिवर्तन समाचार पत्र के सम्पादक प्रशान्त गोयनका।
मेरी इच्छा थी कि मैं पत्रकार बनूं : रतनचन्द श्रीश्रीमाल

Total Views :
1,825




सवाल 1. सफल व्यापारी बनने के लिए या किसी व्यवसाय को शुरु करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
जवाब : सबसे पहले तो जब भी कोई व्यापार करते हैं, तो उस व्यापार का बैक ग्राउंड जानें, इस व्यापार में पहले क्या था, कैसे था? कौन-कौन उससे सफल हुए हैं। जब आप किसी व्यापार को करने का निश्चय लेते हैं, तो आपको उससे जुड़ी तमाम बातों का ध्यान रखना पड़ता है, जैसे उसमें क्या प्लस है और क्या माइनस है? यानि कि आपकी पूंजी कितनी है, आप कितना कर सकते हैं और आपको कितना टर्न ऑवर मिल सकता हैं? जैसे मैं हीरे का व्यापारी हूं, तो यह जानना जरूरी है कि कितने लोग हीरे ले चुके हैं, कितने और लोग लेंगे तथा क्या और कैसे करेंगे? हीरे में क्या खासियत होगी कि जो लोग मुझसे लेंगे जो अभी तक दूसरों से ले रहे थे? इसके लिए पूरा सर्वे करना होगा, सर्वे करने के बाद में ही यह निर्णय लेना होगा कि यह होगा और यह नहीं होगा। व्यापार में पूरा समझ कर चलना होगा कि क्या-क्या रिस्क हो सकती हैं? कैसे आप आगे आयेंगे या कैसे आप पार कर सकते हैं?
सवाल 2. आपने यह व्यवसाय क्या सोच कर शुरू किया और इसकी प्रेरणा किनसे और कब मिली?
जवाब : इस व्यवसाय को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य यह था कि दूसरे कोई भी व्यापार में बहुत ज्यादा झूठ बोलना पड़ता है, कोई भी धंधा ले लो उसमें झूठ ज्यादा बोलना पड़ता है। प्लस हम जैन है और जैन धर्म में एक आरम-सारम हम बोलते हैं, दूसरे में आरम-सारम बहुत करना पड़ता है। हीरे के व्यापार में आरम-सारम लगता है लेकिन इतना नहीं लगता जितना कि दूसरे व्यापार में। आरम-सारम यानि पाप कर्म। दूसरे धंधे में पाप कर्म ज्यादा होते हैं, इस हीरे के व्यापार में पाप कर्म कम लेते हैं, इस कारण हमने यह हीरे का व्यापार शुरू किया। यह डायमंड का व्यापार एक ऐसा है कि इसमें आदर सबसे अधिक मिलता है। धंधा छोटा हो या बड़ा यह मायने नहीं रखता है सामने वाले को मालूम पड़ेगा कि हीरे के व्यापारी हैं तो गर्व महसूस होता है, सामने वाले को भी और हमें भी। यह सोच कर कि इसमें आरम-सारम का पाप भी कम लगेगा और आदर भी अधिक मिलेगा इसलिए हमने हीरे के व्यवसाय को चुना।
सवाल 3. व्यवयास के साथ समाज कल्याण का सोचना बहुत महत्वपूर्ण है, आप अगर व्यवसायी नहीं होते तो क्या होते?
जवाब : आपने मेरे दिल को छूने वाला सवाल कर लिया, अगर मैं हीरे का व्यापारी नहीं होता तो आपकी तरह पत्रकार ही होता। क्योंकि पत्रकार देश का ऐसा सक्षम वर्ग है जो चाहे जैसा तुफान समाज में ला सकता है। अच्छे से अच्छा भी ला सकता है और गलत लाने में भी देर नहीं लगता। पत्रकार बनने की दिल की इच्छा थी लेकिन हीरा व्यवसायी बन गया। भगवान, समाज और दोस्तों का आशीर्वाद था, नहीं तो पक्का पत्रकार बनता और कुछ न कुछ क्रान्ति का कार्य करता। दूसरी बात आपने कही कि व्यवसाय के साथ-साथ समाज सेवा बहुत जरूरी है, क्योंकि हम लेकर क्या आए थे खाली हाथ आए थे, जो दिया समाज, दोस्तों, भगवान ने दिया, साथ में तो लेकर जायेंगे नहीं, जो मेरे पास है और दिल बड़ा है तो समाज में ही लगना है।
सवाल 4. आपके आगे के क्या प्लान (योजनाएं) हैं तथा युवा पीढ़ी को क्या संदेश देना चाहते हैं?
जवाब : यह थोड़ा सा कठिन सवाल है, क्योंकि नई और युवा पीढ़ी जो आज इतनी सक्षम है, अभी जो जेनरेशन मैं देख रहा हूं हर आदमी कमाना चाह रहा है। कम या ज्यादा चाहे जो भी हो। पहले क्या होता है बच्चा होता बड़ा होकर बाप की दूकान पर जाकर बैठ जाता था, लेकिन अभी पीढ़ी है वो खुद यह चाह रहे हैं कि मैं खूद कुछ करूं। अभी तो स्टार्ट-अप के इतने व्यापार शुरू हो गए हैं कि हर कोई चाह रहा है कि कुछ-न-कुछ करूं। तो मेरा यूवा पीढ़ी को यही संदेश है कि आप कुछ भी करो आप सफल होंगे। लेकिन आने वाला समय ऐसा हो कि सभी ओरियन्टल बिजनेस ज्यादा करें। मैं यूवा पीढ़ी से यही कहना चाहूंगा कि आप सर्विस ओरियन्टल बिजनेस कीजिये। लोगों को हर जगह आदमी की जरूरत है लेकिन आदमी है नहीं, तो आने वाला समय ऐसा होगा कि सब चीजें धीरे-धीरे कट होती जायेंगी। जो सीधी और अच्छी सर्विस दे रहा है उसे ज्यादा व्यापार और ग्राहक मिलेगें। मेरा संदेश यही है कि यूवा पीढ़ी सर्विस की ओर ध्यान दें कि कैसे अच्छी से अच्छी सर्विस दी जाये।
अपने साक्षात्कार के अन्तिम शब्दों में रतनचन्द श्रीश्रीमाल ने समाचार पत्र परिवर्तन के लिए शुभकामनाएं दी।