बेंगलूरु, (परिवर्तन)।
एक महामारी से बचे और दूसरे में फंसे





एक महामारी कटी नहीं और दूसरी ने दस्तक दे दी है। देश भर के कई हिस्सों में बर्ड फ्लू की खबरें आई। विश्व भर के कई देश अब भी कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं, इस बीच बर्ड फ्लू की खबरें आना कोई अच्छा संकेत नहीं है। कुछ राज्य जिनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, केरल, हरियाणा, झारखंड और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं, के कई हिस्सों में बर्ड फ्लू के मामलों की पुष्टि की गई है। मालूम हो कि इन राज्यों से पक्षियों के मरने की खबरें आई और ये संदेह जताया जाने लगा कि इन राज्यों में बर्ड फ्लू फैल गया। कोरोना वायरस महामारी के नए स्ट्रेन के मद्देनज़र लोग वैसे ही परेशान हैं। ऊपर से बर्ड फ्लू की वजह से लोगों में और ज्यादा डर फैल रहा है। बीते साल कोरोना महामारी ने जो कहर ढाया था और उसकी वजह से जिस प्रकार से लॉकडाउन लगें और देश की अर्थव्यवस्था को चोट लगी, उससे काफी नुकसान हो चुका है।
हिमाचल प्रदेश के एनिमल हस्बेंडरी डिपार्टमेंट में सीनियर वेटनरी पैथोलॉजिस्ट और बर्ड फ्लू के नेशनल कंसल्टेंट डॉक्टर विक्रम सिंह कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले में पोंग डैम का इलाक़ा इसका एपीसेंटर है और सोमवार तक क़रीब 2400 प्रवासी पक्षियों की मौत हुई है। वे कहते हैं, इस डैम के 10 किमी के दायरे में अलर्ट जारी किया गया है। लेकिन, अभी तक पॉल्ट्री में इसके लक्षण नहीं मिले हैं, क्योंकि इस इलाक़े में कोई पॉल्ट्री फ़ार्म नहीं है। इस इलाक़े में मछलियों की ख़रीद-बिक्री पर इस वजह से रोक लगाई गई है क्योंकि पोंग डैम में पकड़ी गई मछलियों में यह फ्लू पक्षियों के ज़रिए पहुँच सकता है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश सरकार ने कई इलाक़ों में एहतियातन पॉल्ट्री की ख़रीद-फ़रोख्त और मीट के लिए इन्हें काटने पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, पॉल्ट्री उत्पादों और मछलियों के निर्यात पर भी रोक लगा दी गई है। मध्य प्रदेश के इंदौर में पिछले हफ्ते से कौवों की मौत हो रही है और उनमें बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। इसके बाद प्रशासन ने बर्ड फ्लू का अलर्ट जारी कर दिया। इंदौर संभाग के जॉइंट डायरेक्टर (वेटनरी सर्विसेज) डॉक्टर जीएस डाबर बताते हैं, इंदौर के डेली कॉलेज कैंपस में रात में कौवे रुकने आते हैं। वहां पर पिछले एक हफ्ते से रोज़ाना 20-30 कौवे सुबह मरे मिल रहे हैं। इन कौवों का भोपाल की राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान में परीक्षण कराया गया। इनमें बर्ड फ्लू पाया गया। इंदौर में रविवार तक 114 कौवों की मौत हो चुकी है। डॉक्टर डाबर बताते हैं कि इसके बाद पूरे इंदौर संभाग में यह अलर्ट जारी कर दिया गया कि जहां भी इस तरह की मौतें होती हैं वहां से इसे रिपोर्ट किया जाए।
कई राज्यों में फैला बर्ड फ्लू
मध्य प्रदेश में पक्षियों के बैठने वाली जगहों पर डिसइनफ़ेक्शन करवाने, पेड़ों के नीचे लोगों को जाने से रोकने, पक्षियों को पॉलिथीन में बंद करके ज़मीन में दबाने जैसे उपाय लिए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में इंदौर के अलावा खंडवा, बड़वानी, मंदसौर, नीमच, सिहोर, रायसेन और उज्जैन समेत कई जगहों पर पक्षियों के मरने की ख़बरें आ रही हैं। मध्य प्रदेश में कौवों के अलावा बगुलों के भी मरने की ख़बरें हैं। बड़वानी में कबूतरों के मरने की ख़बर है। डॉ. डाबर कहते हैं कि हमने हेल्थ, फॉरेस्ट, नगर निगम और वेटनरी डिपार्टमेंट को निर्देश जारी किए हैं कि जहां भी ज्यादा संख्या में कौवे रात में बैठ रहे हैं वहां ज़मीन पर बीट के ज़रिए भी वायरस फैल सकता है। ऐसे में इन जगहों पर चूने से ज़मीन को धुलवाकर हाइपोक्लोराइड से उसे डिसइनफ़ेक्ट किया जाए। बर्ड फ्लू वायरस के चलते पूरे मध्य प्रदेश को हाई अलर्ट कर दिया गया है और इसके लिए एक कंट्रोल रूम बनाया गया है। हरियाणा के बरवाला में गुज़रे कुछ दिनों में क़रीब एक लाख मुर्ग़ियों की मौत हुई है और इसके पीछे बर्ड फ्लू होने का शक जताया जा रहा है। राजस्थान में कौवों के मरने का सिलसिला जारी है। झालावाड़ ज़िले में कई कौवों की मौत हुई है और माना जा रहा है कि ऐसा एवियन इंफ्लूएंजा या बर्ड फ्लू फैलने की वजह से हो रहा है। केरल में कुछ बत्तख़ों के टेस्ट करने पर उनमें भी बर्ड फ्लू निकला है।
क्यों फैला है बर्ड फ्लू?
डॉ विक्रम सिंह कहते हैं कि एच5एन1 या एच7 तरह के जितने भी बर्ड इनफ्लूएंजा होते हैं, वे नैचुरली पैदा होते हैं. इकोलॉजिकल या एनवायरनमेंटल वजहों से जिन पक्षियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है उनमें यह वायरस पनप सकता है। हालांकि, वे कहते हैं कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और दूसरी जगहों पर भी पक्षियों की मौत हो रही है और अभी यह साफ़ तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि यह वायरस कैसे फैलना शुरू हुआ है। डॉ. डाबर कहते हैं कि सर्दियों के दौरान इंदौर में बाहर से बड़ी संख्या में कौवे आते हैं और ऐसा लग रहा है कि ये वायरस बाहर से आए हुए कौवों के ज़रिए फैला है। जानकारों के मुताबिक़, यह वायरस म्यूटेट करता है। भारत में पॉल्ट्री में मिलने वाला बर्ड फ्लू एच5एन1 वायरस है, जबकि कौवों में यह म्यूटेट किया हुआ रूप एच5एन8 पाया गया है।
कितना ख़तरनाक होता है बर्ड फ्लू ?
बर्ड फ्लू या एवियन इंफ्लूएंज़ा एक वायरल इंफ़ेक्शन है जो कि पक्षियों से पक्षियों में फैलता है। यह ज्यादातर पक्षियों के लिए जानलेवा साबित होता है। साथ ही पक्षियों से इंसानों और दूसरे प्राणियों में पहुँचने पर यह उनके लिए भी घातक साबित होता है। बर्ड फ्लू का पहला मामला 1997 में सामने आया था और तब से इससे संक्रमित होने वाले क़रीब 60 फ़ीसद लोगों की जान जा चुकी है। लेकिन, इंसानी फ्लू से अलग बर्ड फ्लू एक शख्स से दूसरे शख्स में आसानी से नहीं फैलता है। कुछ ही मामलों में मनुष्यों से मनुष्यों में यह ट्रांसमिट हुआ है और ऐसा उन लोगों में ही हुआ है जो एक-दूसरे के निकट संपर्क में आते हैं।
सावधान रहें बर्ड प्लू से
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी एक प्रेस नोट जारी कर इसे स्पष्ट किया है। संगठन का कहना है कि जिन इलाक़ों में बर्ड फ़्लू फैलने का कोई संकेत ना हो, वहाँ मुर्ग़ी पालन से जुड़े उत्पाद इस्तेमाल करने में कोई ख़तरा नहीं है। लोगों में बर्ड फ़्लू के लक्षणों को लेकर भी तरह-तरह के सवाल हैं। हालांकि, भारत में अब तक बर्ड फ़्लू का कोई केस दर्ज नहीं किया गया है। लेकिन जब यह संक्रमण होता है, तो सबसे पहले साँस में तकलीफ़ होने लगती है। इस संक्रमण के होने पर निमोनिया जैसे लक्षण देखे जाते हैं। इस संक्रमण में बुख़ार, सर्दी, गले में ख़राश और पेट दर्द सामान्य लक्षण हैं। वो लोग जो मुर्ग़ी-पालक हैं, किसी पॉल्ट्री फ़ार्म में काम करते हैं, मुर्ग़ी या पक्षियों का माँस बेचते हैं, उनमें यह संक्रमण होने की सबसे अधिक आशंका होती है। ऐसे सभी लोगों को इससे बचाव के लिए हाथों में दस्ताने पहनने चाहिए और चेहरे पर मास्क लगाना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, इतना करने से काफ़ी बचाव संभव है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जानकार यह भी कहते हैं कि जो सावधानियाँ कोरोना के समय में बरती गईं, वही सावधानियाँ बर्ड फ़्लू से बचाव में भी कारगर हैं। जल्दी-जल्दी हाथ धोना, सेनेटाइज़र का इस्तेमाल, चेहरे को कम से कम छूना - कुछ ऐसे उपाय हैं जो इस संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं। साथ ही यह भी सलाह दी जाती है कि अगर आपके आसपास पक्षियों की अचानक अप्राकृतिक रूप से मृत्यु होती है, तो इसके बारे में स्थानीय प्रशासन को तुरंत सूचना दें।
स्वतंत्र टिप्पणीकार रोहित पारीक अपने एक लेख में लिखते हैं, बीसवीं सदी के तीसरे दशक का आगाज हो चुका है। कोरोना आपदा में बीते साल के कड़वे अनुभवों को भुलाते हुए लोगों को उम्मीद है कि वर्ष 2021 वाकई इक्कीस अर्थात पिछले सालों से अपेक्षाकृत श्रेष्ठ साबित होगा। हालांकि 2021 के उगते सूरज के साथ ही एक महामारी अलविदा कहने को तैयार हुई तो बर्ड फ्लू नामक दूसरी महामारी पैर पसारने को बेताब हो गई। अब तो सरकार भी इंसानों को चेता रही है कि परिन्दों से सावधानी बरतें, वरना बर्ड फ्लू का वायरस इंसानों में प्रवेश कर सकता है। वर्ष 2020 अलविदा कहता, उससे पहले ही राजस्थान समेत कई अन्य प्रदेशों में पक्षियों में फैली महामारी बर्ड फ्लू ने अपने आगमन के संकेत दे दिए।
राजस्थान में बर्ड फ्लू के संक्रमण का दायरा अब तेरह जिलों तक फैल गया है। इन जिलों में अबतक 2950 परिन्दे असामयिक मौत का शिकार बन चुके हैं। प्रदेश के 24 जिलों में परिन्दों की लगातार मौतें हो रही है। राज्य के झालावाड़ जिले से सर्वप्रथम कौओं की मौतों से शुरू हुआ परिन्दों की मौतों का सिलसिला अबतक जारी है। प्रदेश में बर्ड फ्लू के लिहाज से राजधानी जयपुर, दौसा, सवाई माधोपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, पाली, सिरोही, कोटा, बारां, झालावाड़, बांसवाड़ा, चित्तौडगढ़ व प्रतापगढ़ को पॉजिटिव माना गया है। राजस्थान समेत देश के कई प्रदेश अब इस नई आफत से घबरा रहे हैं। राजस्थान समेत देश के कई राज्य इस खतरे की जद में आ चुके हैं।
बर्ड फ्लू यानी एवियन इंफ्लूएंजा जंगली पक्षियों में होता है, जो शहरी पक्षियों में उनसे फैल जाता है। जंगली पक्षियों के नाक, मुंह, कान से निकले द्रव और उनके मल से ये फैलता है। देश में वर्ष 2006, वर्ष 2012, वर्ष 2015 के बाद अब 2021 में बर्ड फ्लू ने हमला किया है। नेशनल हेल्थ प्रोग्राम की मानें तो बर्ड फ्लू की वजह से भारत में अभीतक किसी इंसान की मौत नहीं हुई है। वर्ष 2003 से 2019 के बीच दुनिया के 1500 लोग बर्ड फ्लू के संक्रमण में आए थे जिनमें से 600 लोग इस संक्रमण के चलते अपनी जान गंवा बैठे थे। जानकार चिकित्सक बताते हैं कि मनुष्य में इन्फेक्शन, मरे या जिंदा संक्रमित पक्षियों से होता है। उसकी आंख, मुंह, नाक से जो द्रव निकलता है या उनके मल के संपर्क में मनुष्य आता है तो उसमें भी ये संक्रमण आ सकता है। अगर किसी सतह पर या किसी संक्रमित पक्षी को छूने के बाद यदि कोई मनुष्य अपनी आंख, नाक या मुंह को हाथ लगाता है तो उसे संक्रमण का खतरा हो सकता है।
जंगली पक्षी उड़ते समय मल निष्कासित करते हैं तो उसके संपर्क में आने से ये बीमारी शहरी पक्षियों में फैल जाती है। हालांकि कोरोना के संक्रमण से मुक्त हुए लोगों को इससे कोई सीधा खतरा नहीं है, लेकिन जानकार चिकित्सकों का कहना है कि जो लोग कोरोना के संक्रमण से ठीक हो रहे हैं वो लोग जरूर किसी अन्य संक्रमण के रिस्क पर रहते हैं। उनके दूसरी बीमारी के चपेट में आने की संभावना ज्यादा रहती है, क्योंकि जब भी आप एक बीमारी से ठीक होते हैं उस समय शरीर में उतनी शक्ति नहीं होती है, इम्युन सिस्टम भी कमजोर रहता है। ऐसे में किसी भी अन्य बीमारी की चपेट में आसानी से आ सकते हैं। इसलिए जो लोग कोरोना के संक्रमण से ठीक हुए हैं उन्हें काफी सावधान रहने की जरूरत है।
देश में बर्ड फ्लू का यह चौथा हमला है। देश में अभी तक बर्ड फ्लू के एच5एन1 वायरस ने ही हमला किया है, जबकि इसका एक और खतरनाक वायरस है जिसे एच7एन9 कहते हैं। वर्ष 2013 में एच7एन9 की वजह से चीन में 722 इंसान संक्रमित हुए थे। इनमें से 286 लोगों की मौत हो गई थी। पशुपालन और डेयरी विभाग के अनुसार 2006 से लेकर 2015 तक 15 राज्यों में 25 बार मुर्गियों में बर्ड फ्लू का वायरस यानी एवियन इंफ्लूएंजा वायरस मिला है। ये पहला मौका है जब राजस्थान में बर्ड फ्लू के वायरस की पुष्टि हुई हैं। राजस्थान के 11 जिलों में गुजरे दिनों मृत पाए गए कौओं समेत अन्य परिन्दों की जांच रिपोर्ट में बर्ड फ्लू के वायरस की पुष्टि हुई है।
सरकार कह रही है कि बर्ड फ्लू को लेकर सावधानी बरतें, लेकिन घबराए नहीं। नेशनल हेल्थ प्रोग्राम की साइट के अनुसार भारत में अभी तक इंसानों में ये बर्ड फ्लू का संक्रमण देखने को नहीं मिला है। दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल के तहत चल रहे इंटीग्रेटेड डिजीस सर्विलांस प्रोग्राम के तहत देश भर में बर्ड फ्लू समेत कई बीमारियों पर नजर रखी जाती है।