बेंगलूरु, (परिवर्तन)।
जिम्मेदार बने नेताजी





देश में भले की कोरोना का पहला वेव कमजोर पड़ गया हो, लेकिन विश्व भर से आती खबरों से न तो आप अनजान हैं और न ही हम। विश्व भर में कोरोना महामारी का दूसरा वेव चल पड़ा है। कहा यह भी जा रहा है कि यह पहले से ज्यादा खतरनाक और भयावह है। क्योंकि यह संक्रमण तेजी से फैल रहा है और इससे लगातार मृत्यु दर भी बढ़ रही है। कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में एक ठहराव सा आ गया है। लेकिन भारत की मौजूदा स्थिति देखें तो लोग सामान्य जीवन में लौटते लौटते शायद ये भूल चुके हैं कि देश विदेश से कोरोना का खौफ अभी खत्म नहीं हुआ है और न ही संक्रमण की संख्या में बहुत भारी मात्रा में कमी आई है। इसलिए सावधानी बहुत जरूरी है।
हालांकि यह बात अपने मंत्रियों को कहां समझ आती है। राजनीतिक रोटियां सेंकने के अलावे उन्हें और कुछ दिखाई कहां देता है। हाल के आंकड़े देखें तो कोरोना का सबसे ज्यादा प्रभाव देश की राजधानी दिल्ली और पश्चिम बंगाल में फैला है। और देश में सबसे ज्यादा राजनीतिक हलचल भी इन्हीं दो राज्यों में हो रहे हैं। एक ओर दिल्ली में विभिन्न राज्यों के किसान हड़ताल पर बैठे हैं, और विभिन्न राजनीतिक दल उन्हें समर्थन करने के लिए एक साथ आगे आ रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बड़ी बड़ी रैलियों और जनसमुह का आयोजन किया जा रहा है। यहां एकत्र हो रहे लोगों में या तो कोरोना का खौफ खत्म हो गया है, या फिर मंत्री जी का भाषण कोरोना से ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पूरे प्रदेश की राजनीति में असर डाल सकता है।
यहां बात हो रही है देश के गृह मंत्री की रैली की। देश के गृह मंत्री, जिनके कंधे पूरे देश की आंतरिक सुरक्षा का भी जिम्मा होता है। अगर उन्होंने ही समय की गंभीरता को न समझा तो जनता से क्या उम्मीद करें। आबादी के आधे लोगों को तो यह लगता है कि कोरोना सर्दी बुखार वाली बीमारी है, होगी तो ठीक हो ही जाएंगे। लेकिन इसका प्रभाव क्या है यह उन्हें कौन समझाए। और ये कोई पहली बार नहीं है। आपको याद होगा जब फरवरी माह में गुजरात में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आवभगत में विशाल जन समुह एकत्र किया गया था। उस वक्त भी देश में कोरोना के मामले थे। इसके बाद भी बिहार चुनाव के दौरान लापरवाही देखी गई। इतना ही नहीं हैदराबाद में सामान्य नगर निगम चुनाव में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जहां पार्टी के दिग्गज नेताओं ने कोरोना की धज्जिया उड़ाते हुए सभाएं की।
आज पूरे विश्व को कोरोना महामारी से जूझते हुए करीब एक साल से ज्यादा समय बीत गया, लेकिन अब भी परिस्थिति में बहुत सुधार नहीं आया है। इसलिए सावधानी सबसे पहले जनता की नहीं नेताओं की होनी चाहिए। क्योंकि हमारे देश की बागडोर उन्हीं के हाथों हैं। लोग सुरक्षित होंगे तभी चुनाव होगा और पार्टियां सत्ता में वापसी कर सकेंगी। जिम्मेदार बने नेताजी।