बेंगलूरु, (परिवर्तन)।
चाइनीज नहीं खाएं इंडियन चॉकलेट्स





बीते कई दिनों से भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनातनी चल रही है। चीन और भारतीय जवानों के बीच हुई झड़प के बाद से भारत में चीन का भारी विरोध किया जा रहा है। इस बीच लोगों ने चीनी वस्तुओं के इस्तेमाल से भी तौबा कर लिया है। हमने अपने पिछले कुछ लेख में अपने पाठकों को चीन के कुछ उत्पादों की जानकारी दी थी, जिनको परहेज कर आप उसकी जगह भारतीय वस्तुओं को दे सकते हैं। चीन से आयात किए जाने वाले ऐसी कई वस्तुएं हैं जिन्हें हम रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं और जिसका इस्तेमाल करना हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। लेकिन ज्यादातर लोगों को उन श्रेणियों में उपलब्ध भारतीय वस्तुओं की जानकारी न होने की वजह से वे चीन से आयातित वस्तुओं को खरीदते हैं और धड़ल्ले से उसका इस्तेमाल भी करते हैं।
आज हम अपने पाठकों को चीन के सबसे बड़े व्यापार में गिने जाने वाले वस्तु के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे दुनिया के कई देश आयात करते हैं और इस्तेमाल करते हैं। चीनी चॉकलेट विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। एक अनुमान के मुताबिक चीन को इससे सालाना लगभग 6 हजारों करोड़ों लाभ होता है। इससे न केवल चीन की अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिल रही है बल्कि चीन इस आर्थिक लाभ का इस्तेमाल अपने सैन्य शक्ति को मजबूत करने में लगा रहा है।
हालांकि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में चीन द्वारा निर्मित और आयातित कई वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनमें चीन द्वारा निर्मित चॉकलेट प्रमुख है।
चीनी चॉकलेट्स पर पहले भी लग चुके हैं प्रतिबंध
वर्ष 2009 में चीन में निर्मित चॉकलेट व चॉकलेट उत्पादों पर भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया था। इन उत्पादों पर लगे प्रतिबंध की घोषणा केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने लोकसभा में की थी। चॉकलेट उत्पादों पर प्रतिबंध की जानकारी देते हुए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने लोकसभा में कहा था कि भारत ने चीन से आयातित चॉकलेट व चॉकलेट उत्पादों पर प्रतिबंध लगाएगा। इसके बाद आनंद शर्मा ने कहा था कि भारत के बाजारों में जो चीन में निर्मित चॉकलेट बिक रहें हैं, वह अंतराष्ट्रीय मानदंडो के अनुरूप नहीं हैं। लिहाजा केंद्र सरकार ने इन पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा आनंद शर्मा ने लोकसभा को अवगत कराया था कि वर्ष 2008 में भारत सरकार ने चीन से दूध व दूधजन्य अन्य उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंध के बाद चीन से आयातित दूध में प्रतिबंधित रसायन मेलामिन के पाए जाने की पुष्टि भी हो चुकी है।
देश का चॉकलेट बाजार हो रहा समृद्ध
देश में दूध और कोको की पैदावार बढ़ने से देश के चॉकलेट उद्योग को पंख लग रहे हैं। पूरी दुनिया में जहां चॉकलेट इंडस्ट्री में ठहराव आ चुका है वहीं भारत में 13 प्रतिशत की दर से चॉकलेट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भारत के ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया की हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में 2 लाख 28 हजार टन चॉकलेट का सालाना उत्पादन हो रहा है। इस साल यानि 2018 में देश में 3 लाख 41 हजार 609 टन चॉकलेट का उत्पादन होने की उम्मीद है। वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने बताया, बदलती लाइफ स्टाइल, खानपान की बदलती आदतें और गिफ्ट में चॉकलेट के बढ़ते चलन के कारण भी चॉकलेट इंडस्ट्री आगे बढ़ रही है। भारत चॉकलेट का प्रमुख निर्यातक देश भी बन रहा है। भारत से सउदी अरब, यूएई, सिंगापुर, नेपाल और हांगकांग में चॉकलेट निर्यात कर रहा है। उन्होंने बताया कि देश में दुग्ध उत्पादन अधिक होने और कोको की खेती बढ़ने से चॉकलेट उद्योग को बढ़ने में आसानी हो रही है। देश में एक नगदी फसल के रूप में कोको किसानों की पसंद बनती जा रही है। ऐसे में काजू और कोको विकास निदेशालय भारत सरकार एक योजना बनाकर देश में कोको की खेती बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। कोको की खेती को देश में बढ़ाने को लेकर जानकारी देते हुए इसके निदेशक वेंकटेश एन हुब्बल्ली ने बताया, कोको एक निर्याती फसल है। चॉकलेट में कच्चा माल के रूप में कोको का इस्तेमाल होता है। भारत में इसकी खेती केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में हो रही है। भारत में तीन प्रकार की चॉकलेट का उत्पादन हो रहा है, जिसमें व्हाइट, डार्क और मिल्क चॉकलेट शामिल है। अगर बाजार में में बिक्री की हिस्सेदारी के अनुसार देखें तो मिल्क चॉकलेट 75 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ बाजार में कब्जा किया है वहीं व्हाइट चॉकलेट की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत और डार्क चॉकलेट की 9 प्रतिशत है। आजकल डार्क ओर सुगर फ्री चॉकलेट की भी मांग तेजी से बढ़ रही है। बाजार में मेडिसिनल और आर्गेनिक चॉकलेट की मांग को देखते हुए चॉकलेट उत्पादक ईकाइयों ने ऐसे चॉकलेट भी बाजार में उतारना शुरू कर दिया है।
देश में चॉकलेट का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने के बाद भी निर्यात के मामले में अभी भारत अभी टॉप फाइव देशों में अपनी जगह नहीं बना पाया है। पूरे विश्व में 17.1 प्रतिशत निर्यात के साथ जर्मनी नंबर वन चॉकलेट निर्यातक देश है, वहीं 11 प्रतिशत के साथ बेल्जियम दूसरे, 6.8 प्रतिशत के साथ नीदरलैंड तीसरे, 6.3 प्रतिशत के साथ इटली चौथे और 6.1 प्रतिशत निर्यात के साथ अमेरिका पांचवें स्थान पर हैं। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 में भारत में कोको उत्पादन दोगुना होने के साथ 30 हजार टन होने की उम्मीद है। ऐसे में भारत के चॉकलेट उद्योग को बड़ी मात्रा में कच्चे माल के रूप में चॉकलेट मिलेगा और भारत चॉकलेट के प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल हो जाएगा। पिछले साल 78000 हेक्टेयर से 16050 मीट्रिक टन का कोको का उत्पादन हुआ था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार देश ने वर्ष 2016-17 के दौरान 1,089.99 करोड़ रूपए के 25700.17 मीट्रिक टन कोको उत्पाद विश्व को निर्यात किए है।
सस्ता होने की वजह से है मांग
विदेशी व्यापार के विशेषज्ञ एलके प्रधान कहते हैं कि चीन द्वारा निर्मित वस्तुओं की विश्व भर में मांग ज्यादा होने का केवल एक ही कारण है, और वो है वस्तुओं का सस्ता होना। आम लोगों की आदत की बात करें तो बाजार में जिन वस्तुओं का मूल्य अन्य उपलब्ध वस्तुओं की तुलना में कम हो वे अक्सर उसे ही खरीदना प्रीफर करते हैं। इससे चीन को सालाना काफी लाभ होता है। वे कहते हैं कि चीन की हमेशा से यही कोशिश रही है कि अंतराष्ट्रीय बाजार में वस्तुओं की मांग को बढ़ाने के लिए उन्हें सस्ते दामों में उपलब्ध कराना ज्यादा जरूरी है। वे कहते हैं, हो न हो आज यही वजह है कि चीन अपने आर्थिक स्तर पर पिछले कुछ ही वर्षों में शीर्ष पर पहुंच गया है।
देसी चॉकलेट ब्रांड्स